आज तुम्हारे दिये हुए
गुलाब के फूल
कुछ रोज् के बाद..
जब किताबों से निकाले
तो फिर से गीले तो हुए
पर खिल न सके !!
एक पंखुड़ी...
जिसको
मैंने बेबस सा समझा था
और जिसने आपको
बाकी बचे
फूल से जुदा कर लिया ....
अकेली सूख गयी .....
और आजाद हो उड़ गई
तुम्हारे नाम के चंगुल से !!
अक्सर यूंही
कई पंखुड़ियों को होता है
अपने सूखने का इन्तजार ....!!
गुलाब के फूल
कुछ रोज् के बाद..
जब किताबों से निकाले
तो फिर से गीले तो हुए
पर खिल न सके !!
एक पंखुड़ी...
जिसको
मैंने बेबस सा समझा था
और जिसने आपको
बाकी बचे
फूल से जुदा कर लिया ....
अकेली सूख गयी .....
और आजाद हो उड़ गई
तुम्हारे नाम के चंगुल से !!
अक्सर यूंही
कई पंखुड़ियों को होता है
अपने सूखने का इन्तजार ....!!
1 comment:
Bahut, bahut sundar!!
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