Saturday, April 16, 2011

मोहे कांकर पाथर कर दीजो

मोहे कांकर पाथर कर दीजो.....
तू पंछी मत बनईयो
मोहे गहरा सागर कर दीनो
तू लहरे मत दिखईयो ...

मोहे सूरज आग बना दीजो
तू चंदा मत बनईयो
मोहे सूखी रोटी जलने दीजो
तू माखन मत चुपरैयो ॥

मोहे भटकन देना दर दर पर..
कोई पाहन मत ठहरईयो
भ्रमर !! तिस्कार दियो तू नैनन से
मोहे प्रेम रंग न छलियो॥

1 comment:

Bloggy said...

fantabulous ... pehlee barr hua haui mere sath ki comment diye bina ruka nahi gaya ..