Friday, August 28, 2009

बुद्दिजीवी मनुष्य बनाम बुद्दिहीन भेढ

कुछ टूटी फूटी
टेढ़ी-मेढी सड़कें
उन्ही सड़्कों पर
जमीं हुई
तपती हुई
झुलसती हुई
चंद भेंढें
उन्ही भेढों से
निकाली जाने वाली
मखमली सी ऊन
और उसी "मखमली"
ऊन से बनी सजी
सदर के नायब
की टोपी .....॥


और ऐसी ही न जाने
कितनी अनगिनत
सी टोपियाँ ॥
नायब की टोपी में
शान है
क्योंकि इनमें
अनगिनत भेड़ो का
बलिदान है ॥

दोस्तो
भूगोल की किताब का
पन्ना नम्बर 4
फिर से कुछ टूटी फूटी
टेढी-मेढी रेखायें
उन्ही रेखाओं पर
जमें हुए
खढॆ हुए
तपते हुए
झुलसते हुए
लोग
उन्ही लोगों की
नशों से बहा कुछ
रक्त,
और उसी रक्त
से सजा हुआ
चमचमाता हुआ
ये देश ।

और ऐसे ही न जाने
कितने अनगिनत
से देश ॥
इन देशों मे
जान है
शान है
क्योंकि इनमें भी
भेढों बकरियों का
बलिदान है ॥