मां
कमाती नहीं है
घर में पड़े हुए
जूठे बर्तनो को रगड़्ती है ....
पगली है सोचती है नये हो जायेंगे ॥
पिताजी
दिहाड़ी मजदूर है
कमाते हैं
घर में पड़े हुए
झूठे हो चुके बच्चो को रगड़्ते है .....
पागल हैं सोचते हैं उनसे बेहतर हो जायेंगे ॥
Friday, February 12, 2010
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