Tuesday, May 25, 2010

त्रिविचार

1.तथाकथित प्रबंधक

“लल्ला” को आजकल मैंनेजमेंट का भूत सबार हो गया । कहने लगे कि Gilli-Stick पर मैनेजमेंट का एक कोर्स करके आयेंगे । मैने पूछ दिया

-“Gilli-Stick” क्या है

जबाब मिला “ यू डांट नो !(मुझे अपराधीबोध कराते हुए) इट्स ए वंडरफुल स्ट्रेस रिलीविंग फिनोमिना ॥

-हो सकता है कि होता हो लेकिन फिलहाल मुझे नहीं पता ....मैने पूछ लिया

ओ.के !! फार दिस लेट मी ओपेन माई माई लैपी !! ---लल्ला बोले

लल्ला ने फटाफट अपना बैग खोला और थोड़ी ही देर में मेरे सामने 8 slides का एक प्रजेंटेशन आ गया ।

8 स्लाईड्स दिखाने और 35 मिनट मेरी सहनशक्ति की परीक्षा लेने के बाद “लल्ला” बोले

Actually it’s a Game and Rural Class of India calls it “गुल्ली-डंडा” ॥
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2. प्रबंधक गुरू

भारत के प्रसिद्द प्रबंधन संस्थान के एक गुरू जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। इसमें कोई संदेह नही कि यह काफी प्रेरणादायक और सीखने योग्य था । लेकिन कभी-2 कुछ बातें मुझ जैसे गांव-गंवारू को बहुत ही खराब लगती है यह मेरी कमजोरी भी हो सकती है ।

मिस्टर चट्टोपाध्याय ने शायद ही किसी इटालियन या अंग्रेज लेखक हो न पढा हो । शायद यही कारण है कि वह इतने प्रतिष्ठित गुरू हैं ।

वो बोले

--जानते हो पवन ! इंडिया और जापान में क्या अंतर है ?

ऐसे प्रश्नो को उत्तर “हाँ” में नही दिया जा सकता

मैने कहा “नहीं”

चटोपाध्याय जी बोले

“ जापान में जब बच्चे की मां चलना सिखाती है तो बच्चे के सामने खड़ी होती है । बच्चे को सदा यह अहसास रहता है “मां” तक पहुंचना उसका “लक्ष्य” है और जब बच्चा माँ तक पहुंच जाता है तो माँ फिर 4 कदम दूर खड़ी हो जाती है ।“

बच्चा गिरता संभलता फिर गिरता फिर संभलता एक दिन चलना सीख जाता है।

और एक हम भारतीय हैं जिनकी मां बच्चों को अपने पैरों पर खडा कर पीछे से पूरा support देती हैं बच्चे को जीवन भर यही लगता है कि वह तो गिरेगा ही नही क्योंकि मां बाप सहारा बने हुए हैं ।

इसीलिए एक हमारी Economy है और एक जापान की !!

गुरूजी शायद तमाम अंग्रेजों की किताबों के बीच में प्रेमचंद्र के हामिद को भूल गये जो भारत का बच्चा तमाम खिलौनो को छोड़्कर दादी के जलते हुए हाथो के लिए 3 पैसे का लोहे का चिमटा लेकर आता है ।

काश कि मैनेंजमेंट गुरूओं ने यह लाईनें भी पढी होती

“अब मियाँ हामिद का हाल सुनिए। अमीना उसकी आवाज़ सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठा कर प्यार करने लगी। सहसा उसके हाथ में चिमटा देख कर वह चौंकी।

' यह चिमटा कहाँ था ?'

' मैंने मोल लिया है। '

' कै पैसे में ?'

' तीन पैसे दिये। '


अमीना ने छाती पीट ली। यह कैसा बेसमझ लड़का है कि दोपहर हुआ, कुछ खाया न पिया। लाया क्या, चिमटा ! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया ?

हामिद ने अपराधी-भाव से कहा --- तुम्हारी उँगिलयाँ तवे से जल जाती थीं ; इसलिए मैंने उसे लिया।

बुढ़िया का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया, और स्नेह भी वह नहीं, जो प्रगल्भ होता है और अपनी सारी कसक शब्दों में बिखेर देता है। यह मूक स्नेह था, ख़ूब ठोस, रस और स्वाद से भरा हुआ। बच्चे में कितना त्याग, कितना सद्भाव और कितना विवेक है !दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देख कर इसका मन कितना ललचाया होगा ! इतना ज़ब्त इससे हुआ कैसे ? वहाँ भी इसे अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही।

अमीना का मन गद्गद हो गया।

और अब एक बड़ी विचित्र बात हुई। हामिद के इस चिमटे से भी विचित्र। बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी। वह रोने लगी। दामन फैला कर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता !”
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3.Negotiation Skills

मेरा एक दोस्त दिल्ली के पालिका बाजार से सामान खरीद कर भी खुश रहता है । यह वह जगह है जहाँ आपको हमेशा लगेगा कि आपको ठग लिया गया ।

मै उसके साथ उस दिन टोपी खरीदने गया ।

दुकानदार बोला – 300 रूपये
वो बोला – 30 रूपये
दुकानदार हंस दिया ..बोला खरीदने आये हो या मजाक उड़ाने?
बो बोला – खरीदने
दुकानदार बोला तो फिर लाओ 30 रुपये !

टोपी तीस रूपये में खरीद ली गयी ।
ऐसे व्यक्ति को उसकी कंपनी के लोग कहते है 3 लाख रूपये का Negotiation Skill पर Course करके आओ ..

“सो दैट यू कैन इम्प्रूव इट !!"

Saturday, May 01, 2010

मूर्ख विज्ञान




एक विज्ञान की
किताब में
पढा ।

हम सब
एक ही हैं
गोरिल्ला चिप्पैंजी
ओरंग, उटांग
के वंशज ॥

उसमें यह
भी कहा गया
कि
काकेशायड
मंगोलायड
या निग्रोयाय़ड
एक ही हैं

कोई समान तो
कोई संकर बीजों की
उत्पति !!
यह तो प्रकृति है
कि कोई गोरा हो गया
तो कोई काला...

संवेदना ,भावुकता, ममता ,खुशी और आंसू
एक ही है ।

मूर्ख है ये सब विज्ञानी
पूर्व जन्म के पाप नहीं समझते ॥