बहुत दिनों के बात सोचा कि फिर से कुछ बकबास लिखा जाये। मेरे पढने वालो का मै शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि कि वो मेरी बकबास समय निकाल कर पढ लेते हैं और कुछ ऐसे भी है जो इस बकबास पर टिप्पढी भी कर देते हैं । ऐसे सभी बेरोजगारों को मेरा दंडवत साष्टांग प्रणाम ।
चलिए ज्यादा वक्त न गुजारते हुए मै विषय पर आता हूँ । मैंने कुछ समय पहले घर में बनने वाले व्यंजनों में प्रयुक्त होने वाले सभी बर्तनों में से सबसे महत्वपूर्ण बर्तन को पुरस्कृत करने का विचार किया । सोचा था कि शायद इस तरह से मै उन पुराने पड़े बर्तनो में कुछ सकारात्मक उर्जा का संवहन कर पाऊंगा ।
यह एक कठिन कार्य था । कुकर ,कड़ाही , और तवा (जिस पर रोटी सेकी जाती है) सर्वाधिक कर्मठ थे । मुझे पता था कि यही वह लोग है जो प्रतिदिन अग्नि के प्रहार सक कर व्यंजनों का रसास्वादन कराते है । लेकिन कुकर की त्वचा के रंग और मुश्किले आ जाने या अधिक Pressure बढ जाने पर चिल्ला देना मुझे बिल्कुल पसंद नही आया। इस प्रकार वह पहले ही दौर में बाहर हो गया ।
“तवा” से मेरा कोई हार्दिक लगाव नहीं था । कारण ....उसमें मैंने Diversification बहुत कम देखा , वही गोल रोटी ,या बहुत ज्यादा कुछ अछ्छा करेगा ....तो पंराठे । यह किसी भी प्रकार से सर्वोत्तम के लायक तो नही ही था ।
अंतत: कड़ाही ....मै जानता था कि यही मेरे इनाम की हकदार है और शायद मै उसको पुरस्कृत कर भी देता ....यदि ठीक अतिंम स्थिति में पास रखा “चमचा” मुझे ध्यान नही दिलाता । कढ़ाही अल्मुनियम या लोहे की बनी होती है और यह कार्य सम्पादन के बाद सर्वाधिक समय तक गरम बनी रहती है यदि इसको या इसमें पड़े व्यंजनो को बिना “चमचों” की सहायता से उतारा गया तो यह आपको आघात पहुंचा सकती है । अधिकांश कर्मशीलों की यही दिक्कत है ।
अंतत: मेरा ध्यान चमचे पर गया । अहा ....धन्य !! वही वैसा ही चमचमाता हुआ,अति सुंदर । कितनी सौम्यता से कड़ाही और कुकर में जाता है और सबसे बेहतरीन पका पकाया पकवान उपलब्ध करा देता है।परिवार के अन्य सद्स्य जैसे चम्मच भी पूरी तत्परता से मालिक की सेवा करती है ।मै थाली के एक दम पास अपनी आखों के सामने सदैव चमचा रखता हूँ । यही सर्वोत्तम पाने का सबसे हकदार है । दुनिया के सारे चमचों को मेरा सत सत प्रणाम ।
वैधानिक चेतानवी :
1-मुझे (शायद आपको भी ) भारतीय व्यंजनो में छौंक लगा व्यंजन अति-प्रिय है , मेरे विचार में इस अतिरिक्त स्वाद का कारण यह भी हो सकता है कि यहां इस विधि का प्रयोग करने वाला, “चमचों” को भी अग्नि में तपाता है ।
2-किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इस पूरे लेख का कोई सम्बन्ध प्रतीत हो तो मात्र संयोग ना समझे ......अगर हो सके तो क्षमा प्रदान कर दें ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
8 comments:
इसीलिए यूँ भी चमचा सर्वोत्तम माना गया है. आप उसकी जगह किसी और को चुनते तो निश्चित ही प्रतियोगिता में घोटाले की बू आती.
:)
यार, एक तो आपको कमेंट करो मेहनत करके और आप बेरोजगार के तमगे से नवाज़ रहे हो...जरा तो संकोच करो जी.
:)
बढ़िया व्यंग्य और ये रहा एक और बेरोजगार कमेंटर :)
waah.. maja aaya... aise durlabh khyal aate kahan se hain teri 'neta' buddhi main..
:)
superb...!
@ समीर जी:-घोटाले के संदर्भ में सत्य कहा। बेरोजगार शब्द प्रयोग करने का मैंने जो दु:साहस कार्य किया था ,बालक मन ने सोचा था कि "साष्टांग दंडवत" प्रणाम उसकी क्षतिपूर्ति कर देगा।
@ राम त्यागी :धन्यवाद,उम्मीद है चमचों की
बढती Inflation का रूप न ले।
@ आशीष : विचार दुर्लभ नहीं है,आस पास के ही हैं।फिर ये तो अपनी ही रसोई के हैं।
@पारूल :धन्यवाद
Bhai sahab, Aaj ke sansaar mein chamcha hi humesha purastrat hota hai.. Ye tathya hai..
-- Ek aur berojgaar
Post a Comment