Sunday, January 11, 2009

भारत:-एक प्रजातांत्रिक राष्ट्र ?

अब तक के सारे समाज का इतिहास वर्ग-संघर्षों का इतिहास है।स्वतंत्रजन और दास,कुलीन और सामान्य जन,जमींदार और किसान,ठेकेदार और मिस्त्री-संक्षेप में,जालिम और मजलूम-निरंतर एक दूसरे के दुश्मन रहे हैं।वे कभी चोरी छिपे तो कभी खुले-आम लगातार आपस में लड़्ते रहें हैं,और इस ळडाई का अंत हर बार या तो सारे समाज के क्रांतिकारी पुनर्निमार्ण में हुआ ,या फिर दोनों संघर्षरत वर्गों के विनाश के रूप में सामने आया। सामजिक इतिहास का प्रत्येक अध्याय साक्षी है कि राजनीतिक सत्ता सदैव प्रभुत्वशाली वर्ग के हाथों मे रही है जिसने दूसरे वर्ग को पराधीन बनाकर उस पर निरंतर अत्याचार किए।इस तरह राज्य उत्पीड़्न का साधन मात्र रहा है ।

जब समाज में राजनीति के प्रजातात्रिक दृष्टिकोंण का उदभव हुआ होगा तब इसकी कल्पना करने वालों ने नैतिक मूल्यों और सभी विरोधाभाषी सैद्दांतिक दृष्टिकोण के मूल्यों को समझने की कोशिश की होगी ।इस प्रकार एक ऐसे संविधान की रचना की गई जिसमें मनुष्य (प्रजा) को अधिकार प्रदान किए गये।भारत के संविधान का अवलोकन करने पर हम पाते है कि मूल अधिकारों में वाक्य और अभिव्यक्ति स्वतंत्रता (अनु-19(1)-क) को मुख्य स्थान दिया गया है साथ ही इस बात को प्रमुखता के साथ रखा गया है कि किसी भी परिस्थिति में राज्य (सरकार) का यह दायित्व है कि संविधान के इन विचारों का पालन कराया जाये और स्वयं भी किया जाये।

विगत वर्षों में भारत सरकार का हर दृश्टिक़ोण; किसी भी प्रजातांत्रिक समझ रखने वालों की समझ के परे है।प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ अर्थात प्रेस TRP और अंधी भौतिकवादी दौडों मे शामिल हो चुका है।यथार्थ को जायकेदार,मशालेदार बनाकर जनता के सामने बिना सच या झूठ को सामने रखे,सिर्फ जनता के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर परोसा जा रहा है । पिछ्ले कुछ समय में भारत में हुई कुछ मुख्य घटनायें इस प्रकार

Ø सरकारी कर्मचारियों (IAS) के लिए छ्ठे वेतन आयोग की सिफारिशे बिना किसी शर्त के मान्य।
Ø IPS,सैनिकों द्वारा वेतन आयोग का विरोध ,विरोध का कारण रक्षा को कार्मिक क्षेत्र से कम वरीयता।
Ø 26/11 मुम्बई पर आतंकियो का हमला ।अदम्य साहस के साथ रक्षा कर्मियों ने देश की सुरक्षा की ।
Ø मुम्बई पर आतंकियो का हमला ।अदम्य साहस के साथ रक्षा कर्मियों ने देश की सुरक्षा की ।
Ø मीडिया का सरकार द्वारा उपयोग।
Ø हमले के बाद आम भारतीयों का देश के प्रति समर्पित होना ।
Ø अचानक सैनिकों की मह्त्ता सरकार द्वारा समझना, सैनिकों की वेतन संवधी मांगे पूरी ।
Ø कुछ भारतीय कम्पनियों द्वारा 2 वर्षों से प्रस्तावित हड्ताल आदि का वापस लेना ।
Ø सरकार के कुछ मंत्रियो का गैर-जिम्मेदार बयान--अंतुले प्रकरण ।
Ø नववर्ष का प्रारंभ, प्रधानमंत्री का हर प्रकार से 7% विकास दर कायम रखने का वादा ।
Ø IAS,IPS और ARMY के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मागें।
Ø 12 वर्षो के बाद वेतन आयोग को लेकर 7-जनवरी को प्रस्तावित तेल उपक्रमों की हड्ताल का प्रारम्भ ।
Ø सरकार का 2 दिनों तक कोई विशेष ध्यान न देना।
Ø अचानक मीडिया का सरकार द्वारा भरपूर प्रयोग ।
Ø जनता के सामने सरकारी उपक्र्मों की अलग प्रकार की छवि को रखना ।
Ø दमनकारी नीति द्वारा मांगो को समाप्त कराना ।
Ø Transporters द्वारा हडताल पर जाना। 7-10 दिनो तक सरकार विफल,किसी भी प्रकार का Alternate Solution न होना ।
Ø सत्यम-Private Firm द्वारा के लाखों लोगो के पैसे के साथ खिलवाड।

ऊपर की समस्त घटनायें के विफल सरकार की कहानी प्रस्तुत करने के लिए काफी हैं।लेकिन मै विशेष रूप से Oil sector की हड़्ताल,प्रजा और राजनीतिक रूप से प्रजात्तंत्रिक रूप की सरकार पर आप लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा ।विचारो को सामने रखने से पहले मै बता देना चाहता हूँ कि यह शासन 4 पीढी के गांधी-नेहरू परिवार का ही है ।26 वर्ष की अवस्था में मुझे नही पता कि प्रजातंत्र और परिवारवादी शासन तंत्र में कितना अंतर है।मैने विश्वशनीय किताबों मे पढा है कि भारत एक प्र्जातांत्रिक देश है इसीलिए मै ऐसा मानता भी हूँ।

इसी प्रजातांत्रिक देश ने नेहरू के सपनों के आधार पर कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम खोले । यह उपक्रम सर्वजन के लिए है और इन्ही में से कुछ को इनकी कार्य गुणवत्ता के आधार पर नवरत्न घोषित किया गया । मै आपको बताना चाहूंगा कि ये सरकारी बाबू लोगों की संस्थायें नही है ।इनमे ONGC,NTPC,GAIL,IOCL ,BPCL जैसी कम्पनियां है जिनको कार्य गुणवत्ता के आधार पर Fotune -500 में भी रखा गया है ।इनमें वो कम्पनियां है जिनके अधिकांश कर्मचारी IIM,IIT या REC की शिक्षा प्राप्त करके बीना,भटिंडा,बडौत,उंचाहार जैसी जगहों पर रहकर नये भारत को बुलंदियो तक पहुंचाने का न केवल स्पप्न देख रहे हैं बल्कि उसका वास्तविक क्रियान्वयन भी कर रहे हैं। इनमें वो कम्पनियां भी है जिनकेकर्मचारी सिर्फ सरकारी नीतियों के कारण न तो Profit कर सकती है न ही Profit sharing ,इनमें वो लोग भी है जिनमें मंजूनाथ जैसे लोग आतेहै और तथाकथित प्रजातांत्रिक सरकार के द्वारा अपना जीवन शहीद कर देते हैं ।

कुल मिलाकर वर्तमान में इन IIM,IIT,REC स्तर के कर्मचारी इनमें आते ही इनको छोड देने का विचार रखते हैं । इनके वास्तविक कारण इस प्रकार है जिनसे बहुत भिन्न कारण मीडिया या सरकारी तंत्र द्वारा आप तक पहूंचे होंगे
o प्रारंभिक स्तर पर सबसे उच्च Basic salary 12000 प्रति माह है ।
o प्रारंभिक स्तर सबसे अछ्छा Gross CTC -26000 है झूठे सरकारी /स्व्प्नलुप्त मीडिया आंकडो के हिसाब से यह 1 लाख है।
o CMD /Director स्तर पर Gross CTC -60000 है झूठे सरकारी /स्व्प्नलुप्त मीडिया आंकडो के हिसाब से यह 3 लाख है।
o पिछ्ले 12 वर्षो में किसी भी प्रकार की कोई वेतन बढोत्तरी नहीं ।
o 1997 वेतन आयोग के बाद आयोग को 10 वर्षो के स्थान पर 5 वर्ष करने की सिफारिश।
o 10 वर्ष बीत जाने पर भी सरकार द्वारा कोई Action नहीं।
o मंत्री,कैविनेट,सचिव स्तर की वेतन बढोत्तरी समय से पूर्व परंतु कर्मचारी वर्ग उपेक्षित।
o हड्ताल से पूर्व कई बार Union द्वारा चेतावनी परंतु सरकार द्वारा जानबूझकर उपेक्षित करना।
o सरकार द्वारा ह्ड्ताल की जिम्मेदारी न लेना।
o कर्मचारियों के बीच भ्रम की स्थति पैदा करना
o Transparent तरीके द्वारा भावी वेतनमान को न प्रकट करना।
o आतंरिक राजनीति में Negotiaons के स्थान पर Authoritative.
o बाह्य राजनीति में Authoritative के स्थान पर Negotiative.
o मीडेया का हर प्रकार से सामंतवादी प्रयोग

भविष्य:-

सरकारी दमन नीति से भारतीय नवरत्न कंपनियों मे रोष व्याप्त है । निश्चित रूप से इस हड्ताल को बिना शर्त समाप्त कराने के कई और प्रकार हो सकते थे परंतु राजनीतिक सुप्तता और इछ्छाशक्ति के अभाव से दमनकारी नीति को सबसे ऊपर का स्थान दिया ।जनता के बीच तेल कम्पनियों के अधिकारियों और रिफाइनिरी कर्मचारियो को मीडिया के माध्यम से देशद्रोही बताया गया।इन परिस्थितियों मे "नवरत्न" जैसे शब्द बेमानी हैं। मीडिया के एक तबके ने इनके निजीकरण (Privatization) पर जोर देना शुरू कर दिया है।यहाँ यह बताना आवश्यक है कि पैसे का यही ध्रुवीकरण "सत्यम-Scam" जैसी घटनाओं को जन्म देता है । कांग्रेस का यह Globalization phenomenon सामाजिक स्तर पर आत्मघाती ही सिद्द होगा।

एक अपील भारतीय जन मानस से:-

हड्ताल का कोई भी स्वरूप गलत है परंतु इस बात को ध्यान में रख्नना चाहिये कि
· किन कारणों से एक अत्यंत शिक्षित वर्ग उस ओर गया ?
· स्वायत्त नवरत्न कंपनियो के वेतन संवधी निर्णय सरकार द्वारा क्यों लिए जाते हैं?
· वेतन संवधी निर्णय हमेशा सरकार के अतिंम वर्ष में क्यों लिए जाते हैं?
· जिस प्रकार से सरकार ने जनता की सूचना हेतु तेल क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन विज्ञापनों द्वारा बताया है उसी आधार पर सर्वजन सूचना हेतु संसदीय मंत्रियो और सरकारी बाबुओं का वेतन प्रसारित करे?
· किन कारणों से सरकार आतंरिक राजनीति में Authoritative है जबकि पाकिस्तान जैसे देशो के साथ Negotiation राजनीति कर रही है ?
· क्या भारत जैसे देश में Options की कमी के कारण लोग वोट न देने पर बाध्य नहीं है ?

अतिंम विचार:-

प्रजातंत्र पर सिर्फ आतंक ही एक मात्र हमला नहीं है। एक विशेष प्रकार का तंत्र जो की पूर्णतया निरंकुश हो गया है और सत्ता जिसके हाथ में चली गई है राष्ट्र को पंगु बनाने में लगा है। भारत के सरकारी या गैर सरकारी उपक्रमों को उनके कर्मचारियों के माध्यम से मजबूत बनाना ही होगा । जब तक समाज परस्पर विरोधी वर्गों में बंटा रहेगा ,तब तक राज्य और राजनीति प्रभुत्वशाली हाथों मे रहेंगे और इनका प्रयोग पराधीन वर्ग के दमन के रूप में किया जाता रहेगा।

जो भी सरकार पूंजीवादियों के साथ मिलकर कार्य करती है वह इसी प्रकार का शोषण करती है और जनता के सम्मुख उसे नैतिक सिद्द करने का षणयंत्र रचा जाता है । भावुक और परेशान जनता भी ऐसे समय में सरकारी उपक्रमों को बिना जाने पूंजीवादी हाथों मे जाने का समर्थन करते हैं। डा गावा के विचारों मे यह एक सतत चलने वाला चक्रीय प्रक्रम है।बस देर इस बात की है कि देश का युवा वर्ग इसे कितने समय में समझ पाता है।

दमन हमेशा होने बाला प्रक्रम है । डार्विन के सिद्दांन मे भी बताया गया है कि Fittest will be the ultimate survival. पूंजीवादी व्यवस्था में पूंजीवादी कामगारों का शोषण करते हैं । सांमतवादी व्यवस्था में सरकारी तंत्र सभी का (वर्तमान भारतीय व्यवस्था सही रूप में इन्ही 2 का मिलन है) जबकि समाजवाद में कामगार मिलकर पूंजीपतियों का दमन करते हैं। परंतु जहाँ पूंजीवाद में निहित स्वार्थ के कारण वर्ग व्यवस्था ,राज्य और ओछी राजनीति कायम रहती है वहीं कामगारों ,कर्मचारियों की समाजवादी व्यवस्था में ऐसा कोई लालच नहीं होता है ।

भारतीय जनता को अब यह साफ करना ही होगा कि राष्ट्र का कौन सा स्वरूप सर्वोत्तम है।

अंत मे कहना चाहूंगा .....

”युवा दिल हूँ ,जवाँ दिलो को यह अभिमंत्रण देता हूँ ,
अन्यायों पर मुखर क्रांति का खुला निमंत्रण देता हूँ ।“


1 comment:

Unknown said...

Bharat me parjatantra hai nahi ya hai bhi to samjhte nahi maine bhi Nagrik ka kitab pada tha usme likha tha Democracy is the government for the people and the people and by the people lekin abhi to janta ka adhikar hai vote dena or jitne ke baad kaam ke liye ghus do.or koi sahayta nahi to parjatantra hua kaha janta ka adhikar hai kaha.abhi to hai jiski lathi uski bhais.Dilip kumar from Ankuri,goh,Aurangabad.Bihar se.